चले जा रहे है इस ज़िन्दगी की राह पर

मंजिल का निशान नहीं है दूर तक

या शायद मंजिल ही मालूम नहीं है हमें |

मैंने खुद निशान अपने बनाये है या उन पद चिन्हों पर  रखे अपने कदम

समुद्र के लहर जैसा लग रहा है मेरा सफ़र

की हर  पीछे के धक्के से हम आगे है खिसक रहे | |